पद राग रसिया न॰ १६
सजन मेरी समुद्र उलटयो आज।
अन्दर मांही उनमनी गाजे ऐसी अजब आवाज॥टेर॥
लगी छोल तोल क्या वरणू।
गगन रयो है गाज॥१॥
बिरह के बादल उमंग रह्मा है।
सुफल भये सब काज॥२॥
सागर सीप निपजे मोती पाया ज्ञान चढ जहाज।
श्री दीप कहे धन्य ब्रह्म सरोवर सर्वेतर स्वराज॥३॥