पद राग मारवाडी नं॰ ५०
दिलवर देख्यो हो देहली में, सतगुरु श्याम करे स्वराज॥टेर॥
आप अलख अटल अविनाशी, निर्भय ज्ञान समाज।
न्यायाधीश ईश सुखराशी, सारे सब का काज॥१॥
धरम हेत अवतार धार कर, भक्त बिरद की लाज।
सब का हेतु है हितकारी, तीब्र कानूनी बाज॥२॥
सब का हक्क हिसाब फैसला, श्री मुख देत आवाज।
साधु रक्षा दुष्ट दलन, हरि तोडे गैर रिवाज॥३॥
पक्ष रहित सब की पत राखे, कदे न हो नाराज।
श्री स्वामी दीप कहे भाई साधो, सर्वोपरि सिरताज॥४॥