पद राग सोरठ नं॰ ५७
फकीरा साधु, लडता सन्मुख सूर।
काम क्रोध मद लोभ अरी को, कर दिये चकना चूर॥टेर॥
ऐसा सूर हटे नहीं पीछा, ज्यांरा मता करुर।
सुरस सांण बेराग चढाई, करदी करतल जरुर॥१॥
क्या स्वरुप सराऊँ वांरो, चम चम चमके नूर।
मन से युद्व करे संत सूरा, बेरंग उडावे बूर॥२॥
राजा सहित फौज को मारी, धरण मिलादी धूर।
वांरो जस जग मांही कायम, संत भक्त जन सूर॥३॥
श्री भगवान देवपुरी रण सूरा सब का देव हजूर।
श्री स्वामी दीप सूरवां गावे, सर्वे भरयो भरपूर॥४॥