पद राग गजल कवाली नं॰ ६०
देखिया दीदार मुरसद साहेब, सतगुरु हजूर का॥टेर॥
हमारी हरदम दमक में, लो लागी रहे।
हमारी जागती सूरत रहें, पल-पल में मिलाप हो भरपूर का॥१॥
देखिया अनहद में, बाजा बाजता है तूर का।
बिन कान हम सुनते है नहीं नेडा नहीं दूर का॥२॥
हम मुरसद के कदमों की, खाखसार है।
नहीं फेरते मनियां, तसबी अल्लाह कहने का॥३॥
हम साफ कहते है, इसमें जरा भी काम नहीं कूर का।
साहेब देवपुरी वजूद पाक, नाम का।
श्री स्वामी दीप दीवाना है, मुरसद के नूर का॥४॥