पद राग आशावरी जोगिया नं॰ ६९
साधो भाई बेगम पुर निरबानी।
सुन्या शून्य परे शून्य चेतन, वा के परे पद मानी ॥टेर॥
वहां नहीं जीव ब्रह्म निर्मोहि, जड चेतन नहीं कोई।
निराकार आकार नहीं वहां, ऐसा अगम निशानी॥१॥
नहीं वहां सुन्य शब्द नहीं वहां पर ॐ सोहं विलानी।
उसके ही पार पुरुष पुरुषोत्तम निर्भय ही देश निवानी॥२॥
आप अलेख लेख नहीं वहां पर, कुदरत रहत अजानी।
महिमा उसकी वरणी न जावे, सब नाम रुप की हानी॥३॥
सतगुरु देव देश बेनामी, सतगुरु गम पहिचानी।
स्वामी दीप सैन लख पाया, कहन कथन सकुचानी॥४॥