पद राग खमाच नं॰ ९९
सहेल्या सामा आवे ये, मेरा वाला सतगुरु श्याम॥टेर॥
मेरा वाला सतगुरु श्याम, मैं तो करुँ प्रणाम॥१॥
चरण कमल मे अडसठ तीरथ, सकल सिरोमणी धाम।
ईशन के महाईश है, सदा पवित्र नाम॥२॥
दर्शन कर प्रसन्न हुई, सुफल हुवा सब काम।
दोऊ कर जोड रहूँ में हाजर, तन मन अरप तमाम॥३॥
नैन बैन और सैन बिच में, लवलीन करुँ विश्राम।
तीन लोक री सम्पति, मने बख्शीस करियो गुरु राम॥४॥
भव भय हम किम बिसरुँ मन दियो अचल आराम।
श्री सतगुरु साहब देवपुरी सा, आप स्वरुप हमाम॥५॥
श्री दीप कहे चरणों का चाकर, में हूँ आप बे नाम॥६॥