पद राग खमाच नं॰ १०२
उमावो ऐसो आवे रे, दिल रोय रोय पद गावे।
मेरा सतगुरु स्वर्ग सिधावे रे, बिरह उलट उलट कर आवे॥टेर॥
मने अन्न पाणी नहीं भावे रे, जग सूनी खलक लगावे।
नहीं चरचा लागे भाली रे, कहने में नहीं आवे॥१॥
महिमा वेद पुराणा गावे, वैसी सूरत नजर नहीं आवे।
मने नहीं सिणगार सुहावे रे, नींद नहीं आवे रे॥२॥
कोई आवे भक्त बतलावे, मुझको हिल मिल कर बिलमावे।
मुझे और कछु न सुहावे रे, उणियारत घणी आवे॥३॥
भगवन देवपुरीसा पद धारे, दरशन करने को सामा घरमरायजी आवे।
देव गन्धर्व और अप्सरा, हिल मिल के बधावा गावे॥४॥
श्री दीप नारायन तखत बिराजे, पूजन कर सब जै जै कार मनावे॥५॥