पद राग बृज रसिया बधावा नं॰ १४०
धन्य वांकी माता पिता देव धन्य हो।
धन्य उण कुल में, संत अवतारा है॥टेर॥
धन्य वांको देश, धन्य पुर ग्रामा है।
धन्य वांका भ्रात, मित्र वांका धन्य हो॥१॥
धन्य वांकी महिमा, धन्य वांकी सेवा।
धन्य वांकी नीति, प्रेम वांका धन्य हो॥२॥
धन्य वांकी योग, जुगत वांकी धन्य हो॥३॥
धन्य वांको नाम, धन्य वांकी महिमा है।
धन्य वांका दर्शन, धन्य वांकी कृपा है॥४॥
धन्य वांका सत गुरु, धन्य वांका शिष्य है।
सतगुरु साहब श्री देवपुरी सा, श्री स्वामी दीपचरण सुख धारा है॥५॥