गुरू पूर्णिमा के पवित्र अवसर पर एक सत्संग कार्यक्रम का आयोजन वेप, हंगरी में किया गया, जो कि दैनिक जीवन में योग का ग्रीष्मकालीन समारोह था।
पूरे दिन भर, परम पूज्य विश्वगुरु स्वामी महेश्वरानन्द जी ने व्याख्यान दिया जिसे कई देशों से आये हुए भक्तों द्वारा प्राप्त किया गया व उनके दर्शन ( एक संत की आध्यात्मिक बैठक ) किये गये। यह एक चमत्कार है, कि १००० से अधिक लोग इस कार्यक्रम में थे और वे सब विश्वगुरुजी के आशीर्वाद के लिये आये थे।
पिछली शाम को विश्वगुरुजी ने व्यास पूर्णिमा की प्रासंगिकता के बारे में बताया। वेद व्यास कौरवों के वंश के थे और प्राचीन पुराण ( शास्त्र कहानी ) श्रीमद् भागवत में लिखा था।
सुबह के समय श्री गुरुदेव के कमल रूपी चरणों की पूजा का कार्यक्रम पारंपरिक रूप से किया गया और शाम के समय महामण्डलेश्वर विवेक पुरी, विश्वगुरुजी के मेहमान दयाराम जी, साध्वी शांति और स्वामी प्रेमानन्दजी सहित कई अतिथिगण गुरू पूर्णिमा के अवसर पर अपने बुलंद विचारों को साझा करने आये थे।
विश्वगुरुजी के अनुसार सत्य युग पहले से ही २१ जून को योग के पहले अर्न्तराष्ट्रीय दिवस के साथ शुरू हो गया है।