बसंत पंचमी की शुभ संध्या पर परम पूज्य विश्वगुरु महामण्डलेश्वर परमहंस श्री स्वामी महेश्वरानंद पुरीजी महाराज ने प्रशान्ति कुटिरम, स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय में सत्संग दिया।
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परम पूज्य विश्वगुरुजी ने विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ दुनिया भर से आये हुए भक्तों का स्वागत किया जो प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेद और योग चिकित्सा के उपचार के लिये आये थे। विश्वगुरुजी ने सीखने और शिक्षा की योग्यता पर बल दिया कि यह ब्रह्मचर्य जीवन ( पहले २५ वर्ष ) का कर्तव्य है।
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विशेष रूप से वे छात्र धन्य है, जिन्हें गुरुकूल में सीखने ( एक पवित्र व्यक्ति के मार्गदर्शन में स्कूल ) का अवसर मिला हैं। ऐसे छात्रों को आर्थिक एवं आध्यात्मिक रूप से परिवार जनों का साथ मिलता है जिससे वह अपने परम कर्तव्य को पूरा करे एवं अपने लिये एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सके। मास्टर के वह शब्द सरस्वती की देवी की प्रतिमा से ज्यादा महत्वपूर्ण थे। विश्वगुरुजी से निर्देश प्राप्त करने के बाद वहाँ उपस्थित सभी ने १०८ बार सरस्वती के नाम का जप किया व तीन बार परिक्रमा की।
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