Strilky, 3-5 May 2019
विश्वगुरुजी परमहंस महामण्डलेश्वर स्वामि महेशवरानन्द जी द्वारा इस वर्ष का प्रथम वसंत सम्मेलन का आयोजन स्त्रिल्की, चैक गणतंत्र मे किया गया. पिछले पाँच माह से विश्वगुरुजी कि युरोप मे अनुपस्थित के कारण इस बार के वसंत सम्मेलन का चेक तथा युरोप के अन्य देशो के शिष्यो व अनुयायीयो को बेसबरी से इंतजार था...
विश्वगुरुजी द्वारा इस सम्मेलन व इस पुरे वर्ष का विषय "कुन्डलिनि तथा चक्र" कि घोषीत
किया गया. विश्वगुरुजी ने सतसंग मे कहा कि : "कुन्डलि जागृत करना कि प्रतियोगिता नही है,
अपितु आत्म-साक्षात्कार अर्थात स्वयं का ज्ञान, कि तलाश है. आत्म-साक्षात्कार के लिए पहला
कदम मनुष्य से मानव बनना है. मानवता कि सभी विशेषताओ को अपने मे सम्मिलित
करना ही हमारा पहला कर्तव्य है मानव शरीर मे बहुत सी विशेषताए पाई जाती है "
आत्म-साक्षात्कार के पाँच कोष होते है.
प्रथम कोष को अनामया कहलाता है. जो भौतिक कोष है , दुसरा कोष को प्राणमय कहलाता है.
जो ऊर्जा कोष है,इस कोष मे कार्य करने कि ऊर्जा संचित रहती है. इस ऊर्जा कि कमी के कारण
आलस्य पैदा होता है. ऊर्जा भोजन व वायु से प्राप्त होती है. प्राण ही जीवन है और आत्मा का सार
है. तिसरा कोष मनोमया कोष कहलाता है, यह कोषप्राणमय कोष से भी अधिक शक्तिशाली है.
शेष दो कोष क्रमश: विज्ञानमय कोष व आन्नदमय कोष कहलाते है.
अन्तराष्ट्रि अनुयायीयो के पास अपने योगाभ्यास को महामण्डलेश्वर स्वामि विवेक पुरी व Rado Hovorka
जिन्हे योगा इन डेलि लाइफ मे प्रशिक्षक के रुप लंबा अनुभव है, के साथ ओर अधिक कुशल व नियमित
रखने का सुअवसर है. इस तरह परम पूज्य विश्वगुरुजी से अच्छे स्वास्थ्य के सुझाव को अमल में लाया गया.
इस सप्ताहांत के दौरान, परम पावन महेश्वरानंदजी ने फिर से जीवित गुरु के महत्व को खूबसूरती
से समझाया. सबसे पहले आध्यात्मिकता में, बल्कि मानव जीवन के हर क्षेत्र में, और उन्होंने
गुरु गीता - गुरुर ब्रह्मा, गुरुर विष्णु,गुरुर देवो महेश्वरा से पद्य पर टिप्पणी की। विश्वगुरुजी ने माता-पिता
के रूप में सही पारिवारिक धर्म (कर्तव्य) का पालन करने पर जोर दिया, अगर हम जीवन के पारिवारिक
तरीके को चुनते हैं।
प्रकृति में हरियालि ने मौसम की शुरुआत ने महाप्रभुदीप आश्रम के बगीचे और जंगल को अतिरिक्त सुंदर
बना दिया, जहां स्वैच्छिक कार्यकर्ता पिछले कुछ महीनों से पौधों के लिए बहुत व्यस्त हैं। प्रतिभागियों को इस
आधुनिक दुनिया में इस तरह के सुंदर वातावरण और एक प्रामाणिक योग गुरु, विश्वगुरुजी से शांति और
प्राण का आनंद लेने का दुर्लभ अवसर था।