यह राजस्थान का रेगिस्तानी इलाका है, जो सूखा और ऊसर (अनुर्वर) है, और बरसों से सूखे की चपेट में हैं। यहाँ रहने वालों का जीवन मुश्किल हैं और इनके पास अवसर (मौके) भी कम हैं। यही कारण है कि यहाँ के परिवार अपने बच्चों को स्कूलों में नहीं भेज पाते। उनमें भी लडकियों को तो शिक्षा का अवसर मिलता ही नहीं।
संत परमहंस स्वामी महेश्वरानन्द जी की कृपा से जाडन् का यह स्कूल २००२ में बना। "ज्ञानपुत्र" योजना एक बहुत ही प्रशंसनीय योजना हैं, जिसका शुभारम्भ १९९८ में हुआ था। यह निर्धन परिवारों के स्कूली बच्चों को आर्थिक सहायता देने के लिये बनी थी। गाँव के बडे लोग और स्कूलों के प्रिंसीपल ऐसे बच्चों को चुनते हैं और "ज्ञानपुत्र" योजना से उन्हें स्कूल की फीस, यूनिफॉर्म, जूते, कॉपी, पेंसिल आदि संसाधन तथा पुस्तकें मिल जाती हैं।
 
शिवमहापुराण,  पञ्चम उमासंहिता, अध्याय १४ में लिखा है:
 
तुलादानानि शस्तानि गाव: पृथ्वी सरस्वती।
द्वे तु तुल्यबले शस्ते ह्यधिका च सरस्वती॥४॥
 
गोदान, भूमिदान, विद्यादान तथा तुलादान-ये दान प्रशंसीय हैं।
इनमें उक्त दो दान समान हैं, विद्यादान अधिक सबसे अधिक है॥४॥

 

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